स्वर्ण प्राशन (Swarna Prashana) ( या स्वर्णामृत प्राशन या महा स्वर्ण योग ) भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा का एक अनमोल उपाय है, जिसका उपयोग बच्चों में रोगप्रतिरोधक क्षमता तथा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। यह एक प्रकार का आयुर्वेदिक टीकाकरण है, जो विशेष रूप से बच्चों के लिए डिज़ाइन किया गया है। आजकल प्रदुषण, मिलावट और रासायनिक द्रव्य निर्मित खाध्य पदार्थ, तनाव ग्रस्त जीवन शैली, इलेक्ट्रॉनिक चीजों से व्यापत जीवन, वातावरण में अनियमित बदलाव आदि कारणों से बालको के विकास पर नकारात्मक असर होने की सम्भावना अधिक होती हैं जिससे इस औषधीय मिश्रण को देना आवश्यक होता हैं ।
स्वर्ण प्राशन (Swarna Prashana) क्या है
स्वर्ण प्राशन एक औषधीय मिश्रण है जिसमें शुद्ध स्वर्ण भस्म (सोने का चूर्ण), गाय का घी, मधु (शहद) और विभिन्न जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इसे शुभ मुहूर्त में बच्चे को दिया जाता है, खासकर पुष्य नक्षत्र के दिन, क्योंकि इसे आयुर्वेद में अत्यधिक शुभ और प्रभावी माना गया है।
स्वर्ण प्राशन संस्कार उन सोलह संस्कारो में से एक संस्कार हैं, जो मनुष्य जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।
स्वर्ण प्राशन (Swarna Prashana) के लाभ
स्वर्ण प्राशन के अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना:
स्वर्ण प्राशन बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे वे विभिन्न बीमारियों से बचाव कर सकते हैं, इससे बच्चो को बार बार होने वाली सर्दी, खाँसी, बुखार आदि बीमारियों से रक्षा करता हैं। - मानसिक विकास में सहायक:
यह बच्चों की याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है, जिससे उनकी सीखने की क्षमता में सुधार होता है। - पाचन तंत्र को मजबूत बनाना:
स्वर्ण प्राशन बच्चों के पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और भूख बढ़ाने में सहायक होता है। - त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाना:
स्वर्ण प्राशन त्वचा की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है और बच्चों की त्वचा को चमकदार बनाता है। - आयुर्वेदिक टीकाकरण का विकल्प:
यह बच्चों को वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने का एक प्राकृतिक विकल्प है।
स्वर्ण प्राशन (Swarna Prashana) कब और कैसे दिया जाए ?
स्वर्ण प्राशन को नवजात शिशु से लेकर 16 साल की आयु तक के बच्चों को दिया जा सकता है। इसे पुष्य नक्षत्र के दिन देना सबसे लाभकारी माना गया है, जो हर महीने आता है।
दवा देने की विधि
- बच्चे को सुबह खाली पेट स्वर्ण प्राशन देना चाहिए।
- एक निर्धारित मात्रा (आयु के अनुसार) में दवा दी जाती है।
- इसके बाद बच्चे को कम से कम आधे घंटे तक कुछ भी खाने-पीने से परहेज करना चाहिए।
क्या स्वर्ण प्राशन सुरक्षित है ?
आयुर्वेद के अनुसार, यदि इसे प्रमाणित वैद्य या आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में दिया जाए, तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक और शुद्ध सामग्री का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष
स्वर्ण प्राशन (Swarna Prashana) एक अनमोल आयुर्वेदिक परंपरा है, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देती है। आज के समय में जब जीवनशैली और पर्यावरण संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, स्वर्ण प्राशन जैसे प्राकृतिक उपाय बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकते हैं। यदि आप अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं, तो स्वर्ण प्राशन को एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में अपनाएं। हालांकि, इसे शुरू करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।
क्या आपने अपने बच्चे के लिए स्वर्ण प्राशन का अनुभव किया है? अपने विचार और अनुभव हमें कमेंट में बताएं!